ਸਚੱ ਦਾ ਖ਼ੌਫ ( ਮੂਲ : ਹਾਰਕੀਰਤ 'ਹਕੀਰ' , ਅਨੁ : ਅਮਰਜੀਤ ਕੌਂਕੇ )
ਜਦ ਵੀ ਮੈਂ ਤੈਨੂੰ
ਸਚੱ ਨਾਲ
ਮਿਲਾਉਣਾ ਚਾਇਆ
ਹਰ ਵਾਰ ਤੁੰ ਮੈਨੂੰ
ਪਰੇ ਧੱਕ ਦਿੱਤਾ
ਸ਼ਾਇਦ ਤੁੰ
ਉਸਨੂੰ ਪਛਾਣਦਾ ਸੀ
ਪਰ ਡਰਦਾ ਸੀ
ਕਿਤੇ...
ਸਚੱ ਦੀ
ਬੇਬਾਕ ਸਿਆਹੀ ਨਾਲ
ਤੇਰੇ ਸਫੇਦ ਕੁੜਤੇ ਤੇ
ਕੋਈ ਬੇਜਾ ਦਾਗ
ਨਾ ਲੱਗ ਜਾਵੇ ....!!
ਬੇਜਾ-ਅਨੁਚਿਤ
शनिवार, 16 मई 2009
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Good poetry ......just and appropriate translation
जवाब देंहटाएंPunjabi Padhe Bahuta Waqt Ho Gya. Es Karan Kavita Padhan Layi Thodi Mushkil Hoyi Per Padhkar Changa Lagya...
जवाब देंहटाएंਸ੍ਸਾਦੀ ਸਮਜ ਮੈ ਨਾਈ ਅੰਡੇ ਹੈ ਕੀ ਲਿਖਯਾ ਹੈ ਤੁਸ੍ਸੀ !!!
जवाब देंहटाएंहरकीरत जी मुझे गुरुमुखी पढनी नही आती .लेकिन मै जानता हूँ ये कवितायें बहुत अच्छी होंगी पंजाबी मे मैने अमृता के अनुवाद पढे है तब से इस पृष्ठभूमि की कवितायें अच्छी लगती हैं.इनका अनुवाद नही दे सकती क्या?
जवाब देंहटाएंअगर ये देवनागरी में होतीं, तो अच्छा लगता।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत सुंदर .... आदमी सच से इतना खौफ क्यों खाता है, शायद अपने अस्तित्व से ही डर लगने लगा है उसे,
जवाब देंहटाएंसुंदर ... हिंदी या गुरुमुखी दोनों में समानरूप से लिखती रहें ।
harkeerat aapney to ji mehfil loot li. hamein to bin mole hi. kya kahoon, kya na kahoon. aapki rachnayen to goongey ka gud ho gai hain.
जवाब देंहटाएंek nmrtapurvak sujhav hai- is kavita ki antim pankti surplus si lag rhi hai. ismein iska sheershak chhipa hai. sach da khof ye sheershak thoda explaining sa ho rha hai.
aap jayeega. main to lot aya hoon. mujhe to apni ye prithvi pyari hai.
जवाब देंहटाएंmeri galati! yhan to 'beja' ka meaning tha. apni is drishtta ke liye "sach da khof" kavita se kshma...
जवाब देंहटाएंਸਚ ਚੀਜ ਹੀ ਐਸੀ ਹੈ ਕਿ ਹਰ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਖੋਫ ਤਾਂ ਲਗਦਾ ਹੀ ਹੈ ਬਹੁਤ ਹੀ ਘਟ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁੰਦਰ ਰਚਨਾ
जवाब देंहटाएंValentine's Day Gifts
जवाब देंहटाएंValentines Day Gifts